उस समय एक मसीही विश्‍वासी क्या करे यदि वह एक अविश्‍वासी से विवाहित है?

प्रश्न उस समय एक मसीही विश्‍वासी क्या करे यदि वह एक अविश्‍वासी से विवाहित है? उत्तर एक मसीही विश्‍वासी के जीवन में सबसे कठिन चुनौतियों में से एक एक अविश्‍वासी के साथ विवाहित होना होता है। विवाह एक पवित्र वाचा है जो दो लोगों को एक तन होने के लिए साथ जोड़ देती है (मत्ती…

प्रश्न

उस समय एक मसीही विश्‍वासी क्या करे यदि वह एक अविश्‍वासी से विवाहित है?

उत्तर

एक मसीही विश्‍वासी के जीवन में सबसे कठिन चुनौतियों में से एक एक अविश्‍वासी के साथ विवाहित होना होता है। विवाह एक पवित्र वाचा है जो दो लोगों को एक तन होने के लिए साथ जोड़ देती है (मत्ती 19:5)। शान्तिपूर्ण सांमजस्यता के साथ एक विश्‍वासी और एक अविश्‍वासी का एक साथ रहना अत्यन्त कठिन होता है (2 कुरिन्थियों 6:14-15)। यदि विवाह उपरान्त एक जीवन साथी मसीही विश्‍वासी बन जाता है, तब दो भिन्न अधिकारों की अधीनता में रहने का स्वयं में निहित संघर्ष शीघ्र ही प्रगट हो जाता है।

अक्सर, मसीही विश्‍वासी ऐसी परिस्थिति में होते हैं, जब वे इस तरह के वैवाहिक जीवन से बाहर निकलने का विकल्प ढूंढते हैं, इस निश्चय के साथ कि यही केवल एक तरीका है, जो परमेश्‍वर को सम्मान लाता है। तथापि, उसका वचन इसके विपरीत बात करता है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि न केवल अपनी परिस्थिति में सन्तुष्ट रहना चाहिए, अपितु साथ ही अपनी चुनौती भरी परिस्थितियों में परमेश्‍वर को महिमा देना भी ढूंढ़ना चाहिए (1 कुरिन्थियों 7:17)। बाइबल 1 कुरिन्थियों 7:12-14 में विशेष रूप से उन लोगों को सम्बोधित करती है, जो अविश्‍वासियों से विवाहित हैं: “….यदि किसी भाई की पत्नी विश्‍वास न रखती हो, और उसके साथ रहते से प्रसन्न हो, तो वह उसे न छोड़े। और जिस स्त्री का पति विश्‍वास न रखता हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्न हो; वह पति को न छोड़े। क्योंकि ऐसा पति जो विश्‍वास न रखता हो, वह पत्नी के कारण पवित्र ठहरता है, और ऐसी पत्नी जो विश्‍वास नहीं रखती, पति के कारण पवित्र ठहरती है…।”

अविश्‍वासियों के साथ विवाहित विश्‍वासियों को पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है कि वह उन्हें मसीह को अंगीकार करने और परमेश्‍वर की उपस्थिति के प्रकाश में जीवन यापन करने के लिए सक्षम करे (1 यूहन्ना 1:7)। उन्हें उनके मनों को परिवर्तित होने के लिए और पवित्र आत्मा के फल को उत्पन्न करने के लिए परमेश्‍वर की परिवर्तित करने वाली सामर्थ्य की खोज करनी चाहिए (गलातियों 5:22-23)। एक विश्‍वासी पत्नी में एक अधीनता के मन का होना अवश्य है, यहाँ तक कि उसके अविश्‍वासी पति की ओर (1 पतरस 3:1), और उसे परमेश्‍वर की निकटता में बने रहना चाहिए और उसे उसके प्रति अधीन रहने के लिए परमेश्‍वर के अनुग्रह के ऊपर निर्भर रहने के लिए सक्षम बने रहने की मांग करनी चाहिए।

मसीहियों को एकान्त के जीवनों को यापन नहीं करना है; उन्हें बाहरी स्रोतों जैसे कलीसिया और बाइबल अध्ययन समूहों से सहायता को प्राप्त करने की खोज करनी चाहिए। एक अविश्‍वासी से विवाह सम्बन्ध में पवित्रता को परिवर्तित नहीं कर देती है, इसलिए यह प्रत्येक विश्‍वासी की प्राथमिकता होनी चाहिए कि वह अपने जीवन साथी के लिए प्रार्थना करे और उसके लिए अच्छे उदाहरण को प्रस्तुत करते हुए, मसीह के प्रकाश को तेज चमक के साथ चमकने दे (फिलिप्पियों 2:14)। हमारी प्रार्थना यह है कि 1 पतरस 3:1 में पाया जाने वाला सत्य — कि एक अविश्‍वासी जीवन साथी को मसीह के लिए “जीत लिया” जाए — प्रत्येक मसीही की आशा और लक्ष्य होना चाहिए जो एक अविश्‍वासी के साथ विवाहित है।

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