क्या स्वर्ग में हम घरों को प्राप्त करेंगे?

प्रश्न क्या स्वर्ग में हम घरों को प्राप्त करेंगे? उत्तर यीशु के क्रूसित होने वाले दिन से पहले की रात में यीशु ने उसके शिष्यों से कहा था कि वह उन्हें छोड़ कर जाने पर है और यह कि वे उसके साथ नहीं जा सकते हैं (यूहन्ना 13:33)। पतरस ने पूछा कि यीशु कहाँ पर…

प्रश्न

क्या स्वर्ग में हम घरों को प्राप्त करेंगे?

उत्तर

यीशु के क्रूसित होने वाले दिन से पहले की रात में यीशु ने उसके शिष्यों से कहा था कि वह उन्हें छोड़ कर जाने पर है और यह कि वे उसके साथ नहीं जा सकते हैं (यूहन्ना 13:33)। पतरस ने पूछा कि यीशु कहाँ पर जा रहा था और वे लोग क्यों उसके साथ नहीं जा सकते हैं, और यीशु ने उन्हें आश्‍वस्त किया कि वे अन्तत: उसके पीछे ही आएँगे (यूहन्ना 13:36-37)। यीशु ने कहा, “मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते तो मैं तुम से कह देता; क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने वहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:2-3)।

यीशु के इस कथन ने बहुत विश्‍वासियों को अंग्रेजी के किंग जेम्स अनुवाद के कारण उलझन में डाल दिया है, क्योंकि वहाँ पर दिए हुए शब्दों का अर्थ “घर” या “भवन” से है। “घर” के लिए जिस यूनानी शब्द का अनुवाद हुआ है, उसका अर्थ शाब्दिक रूप से या रूपक की भाषा में “रहने के एक स्थान” से है, और अपने निहितार्थ में यह “एक परिवार” को दर्शाता है। अनुवादित “घर” या “भवन” शब्द का शाब्दिक अर्थ “रहने या वास करने के कार्य” से है। इसलिए, यूनानी भाषा को एक साथ रखते हुए, यीशु यह कह रहा है कि परमेश्‍वर के घर (स्वर्ग) में परमेश्‍वर के परिवार में बहुत सारे लोग एक साथ मिलकर रहेंगे। परमेश्‍वर के स्वर्गीय घर के भीतर मसीही विश्‍वासी सदैव परमेश्‍वर की उपस्थिति में रहेंगे। यह सोने की सड़कों पर निर्मित मकान की पंक्तियों के विचार से बहुत ही अधिक भिन्न है, जो कि कई लोगों के मन में बना हुआ चित्र है कि यीशु ऐसा ही कह रहे थे।

यीशु मसीह उसके अपने लोगों के लिए स्वर्ग में एक स्थान को तैयार कर रहा है, उनके लिए जो उसके पास विश्‍वास करते हुए आए हैं, और पवित्र आत्मा इस पृथ्वी पर छुटकारा पाए हुओं के लिए स्वर्ग में रहने के लिए स्थान को तैयार करता है। प्रकाशितवाक्य 7:9 हमें बताता है कि स्वर्ग में “ऐसी बड़ी भीड़ है, जिसे कोई गिन नहीं सकता है” जो सिंहासन के सामने खड़ी हुई है। यहाँ पर एक बार फिर से एक बहुत बड़ी भीड़ का चित्र प्रस्तुत किया गया है, जो कि पृथक रूप से विभिन्न घरों में वास नहीं कर रहे हैं।

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