धर्मी ठहराया जाना क्या होता है?

प्रश्न धर्मी ठहराया जाना क्या होता है? उत्तर सामान्य रूप से कहना, किसी को धर्मी घोषित करने का अर्थ धर्मी ठहराना है, एक व्यक्ति को परमेश्‍वर की दृष्टि में सही ठहराना है। धर्मी ठहराने का अर्थ परमेश्‍वर के द्वारा उन लोगों को धर्मी ठहराना है जिन्होंने मसीह को, मसीह की धार्मिकता के आधार पर ग्रहण…

प्रश्न

धर्मी ठहराया जाना क्या होता है?

उत्तर

सामान्य रूप से कहना, किसी को धर्मी घोषित करने का अर्थ धर्मी ठहराना है, एक व्यक्ति को परमेश्‍वर की दृष्टि में सही ठहराना है। धर्मी ठहराने का अर्थ परमेश्‍वर के द्वारा उन लोगों को धर्मी ठहराना है जिन्होंने मसीह को, मसीह की धार्मिकता के आधार पर ग्रहण करने के कारण, मसीह की धार्मिकता में रोपित कर दिया गया है (2 कुरिन्थियों 5:21)। यद्यपि धर्मी ठहराए जाने का सिद्धान्त पूरे पवित्रशास्त्र में पाया जाता है, तौभी विश्‍वासियों के सम्बन्ध में धर्मी ठहराए जाने के मुख्य संदर्भ का वृतान्त रोमियों 3:21-26 में मिलता है: “परन्तु अब व्यवस्था से अलग होकर परमेश्‍वर की वह धार्मिकता प्रगट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं। अर्थात् परमेश्‍वर की वह धार्मिकता, जो यीशु मसीह पर विश्‍वास करने से सब विश्‍वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं; इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा से रहित है। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत-मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्‍वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्‍वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहले किए गए, और जिन पर परमेश्‍वर ने अपनी सहनशीलता के कारण ध्यान नहीं दिया। उनके विषय में वह अपनी धार्मिकता प्रगट करे। वरन् इसी समय उसकी धार्मिकता प्रगट हो कि जिससे वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्‍वास करे उसका भी धर्मी ठहरानेवाला हो।

हमें हमारे उद्धार के समय ही, धर्मी ठहराया गया है, धर्मी घोषित किया गया है। धार्मिकता हमें धर्मी नहीं ठहराती है, अपितु इसकी अपेक्षा धर्मी ठहराए जाने की घोषणा हमें धर्मी ठहराती है। हमारी धार्मिकता यीशु मसीह के द्वारा पूरे किए हुए कार्य में विश्‍वास करने के द्वारा आती है। उसका बलिदान हमारे पापों को ढकते हुए, हमें परमेश्‍वर को पूर्ण सिद्ध और निर्दोष देखने में सहायता करता है। मसीह में विश्‍वासी होने के नाते, जब परमेश्‍वर हमें देखता है तो वह मसीह की धार्मिकता को देखता है। यह परमेश्‍वर की सिद्धता की मांग को पूरा करती है; इस कारण, वह हमें धर्मी घोषित करता है – वह हमें धर्मी ठहरा देता है।

रोमियों 5:18-19 इस सारी बात का बड़े अच्छे से सार देता है: “इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित्त धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत से लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरे।” यह धर्मी ठहराए जाने के कारण ही हुआ कि परमेश्‍वर की शान्ति हमारे जीवनों में राज्य करती है। यह धर्मी ठहराए जाने के ही कारण है कि विश्‍वासियों के पास उद्धार का आश्‍वासन पाया जाता है। यह धर्मी ठहराए जाने की सच्चाई ही है जो परमेश्‍वर को पवित्रीकरण की प्रक्रिया को आरम्भ करने के लिए सक्षम करती है – ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा परमेश्‍वर उस बात को वास्तविक में परिवर्तित कर देता है जिस अवस्था में हमें वास्तविकता में पहले से हैं। “अत: जब हम विश्‍वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर के साथ मेल रखें” (रोमियों 5:1)।

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