प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाएँ किस बात की ओर संकेत कर रही हैं?

प्रश्न प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाएँ किस बात की ओर संकेत कर रही हैं? उत्तर प्रकाशितवाक्य 2-3 में वर्णित सात कलीसियाएँ उस समय की शाब्दिक रीति से कलीसियाएँ थीं, जब प्रेरित यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य को लिख रहा था। यद्यपि, वे उस समय की शाब्दिक रीति से वास्तविक कलीसियाएँ थीं, तथापि, आज के विश्‍वासियों और कलीसियाओं के…

प्रश्न

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाएँ किस बात की ओर संकेत कर रही हैं?

उत्तर

प्रकाशितवाक्य 2-3 में वर्णित सात कलीसियाएँ उस समय की शाब्दिक रीति से कलीसियाएँ थीं, जब प्रेरित यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य को लिख रहा था। यद्यपि, वे उस समय की शाब्दिक रीति से वास्तविक कलीसियाएँ थीं, तथापि, आज के विश्‍वासियों और कलीसियाओं के लिए उनका आत्मिक महत्व भी है। इन पत्रों का प्रथम उद्देश्य शाब्दिक रूप से उन कलीसियाओं से संचार करना था और उस समय की उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना था। इसका दूसरा उद्देश्य अभी तक के इतिहास में सात विभिन्न प्रकार की व्यक्तिगत्/कलीसियाओं को प्रगट करना और उन्हें परमेश्‍वर के सत्य के विषय में निर्देश देना था।

एक तीसरा सम्भव उद्देश्य इन सात कलीसियाओं को कलीसिया के इतिहास के सात विभिन्न समयों की प्रतिछाया के रूप में उपयोग करना हो सकता है। इस दृष्टिकोण के साथ समस्या यह है कि सातों कलीसियाओं में प्रत्येक उन विषयों का वर्णन करती हैं, जो कलीसिया के इतिहास में किसी भी समय में लागू किए जा सकते हैं। इसलिए, यद्यपि सातों कलीसियाओं के द्वारा सात युगों के प्रस्तुतिकरण में कुछ सत्य हो सकता है, तथापि, यह इस सम्बन्ध में परिकल्पना से बहुत दूर की बात है। हमारा ध्यान उस सन्देश के ऊपर होना चाहिए जिसे परमेश्‍वर ने इन सातों कलीसियाओं के द्वारा दिया है। ये सात कलीसियायें निम्न हैं

(1) इफिसुस (प्रकाशितवाक्य 2:1-7) — ऐसी कलीसिया जिसने अपने पहले प्रेम को छोड़ दिया (2:4)।

(2) स्मुरना (प्रकाशितवाक्य 2:8-11) — ऐसी कलीसिया सताव का सामना करेगी (2:10)।

(3) पिरगमुन (प्रकाशितवाक्य 2:12-17) — ऐसी कलीसिया जो पश्चाताप की आवश्यकता है (2:16)।

(4) थुआतीरा (प्रकाशितवाक्य 2:18-29) — ऐसी कलीसिया जिसके पास झूठे भविष्यद्वक्ता (2:20)।

(5) सरदीस (प्रकाशितवाक्य 3:1-6) — ऐसी कलीसिया सो गई थी (3:2)।

(6) फिलदिलफिया (प्रकाशितवाक्य 3:7-13) — ऐसी कलीसिया जिसने सताव को धैर्य से सहन किया (3:10)।

(7) लौदीकिया (प्रकाशितवाक्य 3:14-22) — ऐसी कलीसिया जिसका विश्‍वास न तो गर्म न ठण्डा था (3:16)।

[English]



[हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए]

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाएँ किस बात की ओर संकेत कर रही हैं?

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.