प्रभु का दिन कौन सा है?

प्रश्न प्रभु का दिन कौन सा है? उत्तर यह वाक्यांश “प्रभु का दिन” अक्सर उन घटनाओं से पहचान कराता है जो इतिहास के अन्त में घटित होंगी (यशायाह 7:18-25) और अक्सर वाक्यांश “उस दिन” से निकटता के साथ सम्बद्ध होता है। इन वाक्यांशों को समझने के लिए एक कुँजी इस बात पर ध्यान देना है…

प्रश्न

प्रभु का दिन कौन सा है?

उत्तर

यह वाक्यांश “प्रभु का दिन” अक्सर उन घटनाओं से पहचान कराता है जो इतिहास के अन्त में घटित होंगी (यशायाह 7:18-25) और अक्सर वाक्यांश “उस दिन” से निकटता के साथ सम्बद्ध होता है। इन वाक्यांशों को समझने के लिए एक कुँजी इस बात पर ध्यान देना है कि यह सदैव समय की अवधि के साथ अपनी पहचान कराते हैं जिसमें परमेश्‍वर व्यक्तिगत् रूप से इतिहास में, परोक्ष या अपरोक्ष रूप से, हस्तक्षेप, उसकी योजना के कुछ विशेष पहलू को पूरा करने के लिए करेगा।

बहुत से लोग प्रभु के दिन को समय की एक अवधि के साथ या उस विशेष दिन के साथ सम्बद्ध करते हैं जो तब प्रगट होगा जब इस संसार और मनुष्य के लिए परमेश्‍वर की इच्छा और उद्देश्य पूरे हो जाएँगे। कुछ विद्वान यह विश्‍वास करते हैं कि प्रभु का दिन किसी एक दिन की अपेक्षा समय की लम्बी अवधि होगी – यह समय की ऐसी अवधि होगी जिसमें मसीह पूरे संसार में इससे पहले कि वह स्वर्ग और पृथ्वी को सारे मनुष्यों के लिए अनन्तकालीन अवस्था में लाने के लिए तैयार करे अपना राज्य करेगा। अन्य विद्वान यह विश्‍वास करते हैं कि प्रभु का दिन एक तुरन्त घटने वाली घटना होगी जब मसीह इस पृथ्वी पर उसके प्रति निष्ठावान् विश्‍वासियों को छुड़ाने के लिए और अविश्‍वासियों को अनन्तकाल के लिए दोषी ठहराने के लिए पुन: वापस आएगा।

यह वाक्यांश “प्रभु का दिन” पुराने नियम में उन्नीस बार उपयोग किया गया है (यशायाह 2:12; 13:6, 9; यहेजकेल 13:5, 30:3; योएल 1:15, 2:1,11,31; 3:14; आमोस 5:18,20; ओबद्याह 15; सपन्याह 1:7,14; जकर्याह 14:1; मलाकी 4:5) और चार बार नए नियम में उपयोग हुआ है (प्रेरितों के काम 2:20; 2 थिस्सलुनीकियों 2:2; 2 पतरस 3:10)। यह साथ ही अन्य संदर्भों मं भी सूचित किया गया है (प्रकाशितवाक्य 6:17; 16:14)।

पुराने नियम के संदर्भ जो प्रभु के दिन का उपयोग करते हैं अक्सर उसके निकट, समीप होने, पास होने की अपेक्षा के भावार्थ को प्रस्तुत करते हैं: “हाय हाय करो, क्योंकि यहोवा का दिन समीप है!” (यशायाह 13:6); “क्योंकि वह दिन अर्थात् यहोवा का दिन निकट है” (यहेजकेल 30:3); “देश के सब रहनेवाले काँप उठें, क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन् वह निकट ही है” (योएल 2:1); “निबटारे की तराई में भीड़ ही भीड़ है। क्योंकि निबटारे की तराई में यहोवा का दिन निकट है” (योएल 3:14); “परमेश्‍वर यहोवा के सामने शान्त रहो! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है (सपन्याह 1:7)। ऐसा इसलिए है क्योंकि पुराने नियम के संदर्भ प्रभु के दिन के लिए अक्सर ऐसे बोलते हैं जो कि निकट और एक बाद में होने वाली पूर्णता है, जैसा कि पुराने नियम की बहुत सी भविष्यद्वाणियों के साथ है। पुराने नियम के कुछ संदर्भ जो प्रभु के दिन की उद्धृत करते हैं वे ऐतिहासिक न्याय को वर्णित करते हैं जो कि पहले से ही कुछ अर्थों में पूर्ण हो चुका है (यशायाह 13:6-22; यहेजकेल 30:2-19; योएल 1:15, 3:14; आमोस 5:18-20; सपन्याह 1:14-18), जबकि अन्य ईश्‍वरीय न्याय के लिए उद्धृत करते हैं जो युग के अन्त में घटित होगा (योएल 2:30-32; जकर्याह 14:1; मलाकी 4:1, 5)।

नया नियम इस दिन को “क्रोध” या “न्याय” का दिन और “सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के बड़े दिन” के नामों से पुकारता है (प्रकाशितवाक्य 16:14) और इसकी पूर्णता को भविष्य में होना उद्धृत करता है जब परमेश्‍वर का क्रोध अविश्‍वासी इस्राएल के ऊपर (यशायाह 22; यिर्मयाह 30:1-17; योएल 1-2; आमोस 5; सपन्याह 1) और अविश्‍वासी संसार के ऊपर (यहेजकेल 38–39; जकर्याह 14) उण्डेल दिया जाएगा। पवित्रशास्त्र संकेत देता है कि “प्रभु का दिन” शीघ्रता के साथ रात में आने वाले चोर की तरह आ जाएगा (जकर्याह 1:14-15; 2 थिस्सलुनीकियों 2:2), और इसलिए मसीही विश्‍वासियों को मसीह के किसी भी क्षण आगमन के लिए सचेत और तैयार रहना चाहिए।

न्याय के समय के अतिरिक्त, यह साथ ही उद्धार का समय भी होगा जब परमेश्‍वर इस्राएल के बचे हुओं को, अपनी प्रतिज्ञा को पूर्ण करते हुए छुटकारा देगा जिससे कि “सारा इस्राएल बचा लिया जाएगा” (रोमियों 11:26), उनके पापों को क्षमा किया जाएगा और उसके लोगों को उनकी भूमि पर पुनर्स्थापित कर दिया जाएगा जिसकी प्रतिज्ञा उसने अब्राहम से की थी (यशायाह 10:27; यिर्मयाह 30:19-31, 40; मीका 4; जकर्याह 13)। प्रभु के दिन का अन्तिम परिणाम तब होगा जब “मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान होगा” (यशायाह 2:17)। प्रभु के दिन के सम्बन्ध में की हुई भविष्यद्वाणियाँ अन्तत: और अन्तिम पूर्णता के साथ इतिहास के अन्त में होंगी जब परमेश्‍वर, अपनी आश्चर्यजनक सामर्थ्य के साथ, बुराई को दण्डित करेगा और अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा।

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