बाइबल जवाबदेही के महत्व के ऊपर क्या कहती है?

प्रश्न बाइबल जवाबदेही के महत्व के ऊपर क्या कहती है? उत्तर आज के समय में पहले से ही बहुत ज्यादा परीक्षा है, और शैतान इसमें वृद्धि करने के लिए अतिरिक्त समय कार्य कर रहा है। परीक्षाओं का सामना होने पर, बहुत से मसीही विश्‍वासी एक “जवाबदेह साथी” की खोज प्रार्थना करने, आत्मिक युद्ध में सामने…

प्रश्न

बाइबल जवाबदेही के महत्व के ऊपर क्या कहती है?

उत्तर

आज के समय में पहले से ही बहुत ज्यादा परीक्षा है, और शैतान इसमें वृद्धि करने के लिए अतिरिक्त समय कार्य कर रहा है। परीक्षाओं का सामना होने पर, बहुत से मसीही विश्‍वासी एक “जवाबदेह साथी” की खोज प्रार्थना करने, आत्मिक युद्ध में सामने आने वाले बोझ को बाँटने के लिए करते हैं। एक ऐसे भाई या बहिन का होना आवश्यक है, जिसके ऊपर हम तब दाँव लगा सकते हैं, जब हम परीक्षाओं का सामना कर रहे होते हैं। राजा दाऊद एक सांय अकेला ही था, जब शैतान ने उसे बेतशेबा के साथ परीक्षा व्यभिचार की परीक्षा में डाल दिया (2 शमूएल 11)। बाइबल हमें बताती है, कि शरीर की नहीं अपितु आत्मा की लड़ाई को लड़ना चाहिए, ऐसी सामर्थ्य और आत्मिक शक्तियों के विरूद्ध लड़ाई करनी चाहिए जो हमें खतरे में डाल देती हैं (इफिसियों 6:12)।

यह जानते हुए कि हम अन्धकार की शक्तियों के विरूद्ध एक युद्ध में लगे हुए हैं, हमें जितना अधिक हो सके, उतना ही अधिक सहायता को हमारे चारों से इकट्ठा कर लेना चाहिए, और इसमें हमें दूसरे विश्‍वासियों के प्रति स्वयं का जवाबदेह रहना भी सम्मिलित है, जो हमें इस लड़ाई को लड़ने में उत्साह प्रदान कर सकते हैं। पौलुस हमें कहता है, कि हमें उस सारी सामर्थ्य से सुसज्जित हो जाना चाहिए जिसका प्रबन्ध परमेश्‍वर युद्ध में लड़ाई के लिए हमारे लिए करता है : “इसलिये परमेश्‍वर के सारे हथियार बाँध लो कि तुम बुरे दिन में सामना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको” (इफिसियों 6:13)। हम बिना किसी सन्देह के जानते हैं, कि परीक्षा तो आएगी ही। हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

शैतान हमारी कमजोरियों को जानता है, और वह जानता है, कि हम कब कमजोर होते हैं। वह जानता है, कि जब एक विवाहित दम्पत्ति लड़ाई करता है और कदाचित् ऐसा महसूस कर रहा होता है, कि कोई और उसे उत्तम रीति से समझता और सात्वंना देता। वह जानता है, जब एक बच्चे को उसके माता-पिता के द्वारा दण्ड दिया जाता है और हो सकता है, कि वह स्वयं को द्वेषी महसूस कर रहा हो। वह जानता है, जब कार्यस्थल पर बातें सही तरीके से घटित नहीं हो रही हों, और तब जब घर के मार्ग पर मधुशाला की दुकान स्थित हो। तब हम कहाँ से सहायता को पाते हैं? हम परमेश्‍वर की दृष्टि में सही करना चाहते हैं, तथापि हम कमजोर हैं। हम क्या करें?

नीतिवचन 27:17 कहता है, “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।” एक मित्र का मुख का दिखावा या अभिव्यक्ति उत्साह भरी या नैतिक सहयोग देने वाली होती है। वह अन्तिम बार कब था, जब आपने अपने मित्र को उसका हालचाल पूछने के लिए टेलीफोन किया था? वह अन्तिम बार कब था, जब आपने अपने मित्र को टेलीफोन किया और उससे कहा कि क्या उसे आपसे बात करने की आवश्यकता है? एक मित्र की ओर से मिलने वाला उत्साह और नैतिक सहयोग कई बार शैतान के विरूद्ध की जाने वाली लड़ाई में खोए हुए तत्व होते हैं। एक दूसरे के प्रति जवाबदेह होना इन खोए हुए तत्वों को प्रदान करता है।

इब्रानियों का लेखक इस सारी बात को कुछ इस तरह सारांशित करता है, जब वह ऐसा कहता है, “और प्रेम और भले कामों में उस्काने के लिये हम एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसा कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें – और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो त्यों-त्यों और भी अधिक यह किया करो।” (इब्रानियों 10:24; 25)। मसीह की देह आपस में एक दूसरे के साथ सम्बन्धित है, और हमें एक दूसरे को विकसित करने के लिए दायित्व दिया गया है। साथ ही, याकूब जवाबदेही के निहितार्थों की बात करता है, जब वह ऐसे कहता है, “इसलिए तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने-अपने पापों को मान लो ,और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ। धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है” (याकूब 5:16)।

पाप के ऊपर जय पाने के लिए चल रहे युद्ध में जवाबदेही सहायक हो सकती है। एक जवाबदेह साथी आपको उत्साह देने, आपको ताड़ना देने, आपको शिक्षा देने, आपके साथ आनन्द मनाने और आपके साथ रोने के लिए हो सकता है। प्रत्येक मसीही विश्‍वासी के पास एक जवाबदेह साथी के होने पर ध्यान देना चाहिए जिसके साथ वह प्रार्थना कर सके, बात कर सके, जिस पर विश्‍वास कर सके और जिसके आगे वह अपने पापों का अंगीकार कर सके।

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