मसीही स्वप्न व्याख्या? क्या सपने परमेश्वर की ओर से होते हैं?

प्रश्न मसीही स्वप्न व्याख्या? क्या सपने परमेश्वर की ओर से होते हैं? उत्तर GotQuestions.org/Hindi एक मसीही स्वप्न व्याख्या सेवकाई नहीं है। हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि एक व्यक्ति के स्वप्न और उन स्वप्नों के अर्थ एक व्यक्ति और परमेश्वर के ही मध्य की बात है। अतीत में, परमेश्वर ने कई बार लोगों से…

प्रश्न

मसीही स्वप्न व्याख्या? क्या सपने परमेश्वर की ओर से होते हैं?

उत्तर

GotQuestions.org/Hindi एक मसीही स्वप्न व्याख्या सेवकाई नहीं है। हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि एक व्यक्ति के स्वप्न और उन स्वप्नों के अर्थ एक व्यक्ति और परमेश्वर के ही मध्य की बात है। अतीत में, परमेश्वर ने कई बार लोगों से स्वप्नों के द्वारा बात की है। उदाहरण के लिए, याकूब का पुत्र यूसुफ (उत्पत्ति 37:5-10); मरियम का पति, यूसुफ (मत्ती 2:12-22); सुलेमान (1 राजा 3:5-15); और कई अन्यों को (दानिय्येल 2:1; 7:1; मत्ती 27:19)। इसी के साथ भविष्यद्वक्ता योएल (योएल 2:28) की एक भविष्यद्वाणी भी है जिसका उद्धरण पतरस ने प्रेरितों के काम 2:17 में किया है, जो उल्लेख करता है कि परमेश्वर स्वप्नों का उपयोग करता है। इस तरह से परमेश्वर स्वप्नों के द्वारा, यदि वह ऐसा करना चाहे, तो बोल सकता है।

परन्तु फिर भी, हमें अपने ध्यान में रखना चाहिए कि बाइबल पूर्ण है, हमारे जानने के लिए आरम्भ से लेकर अनन्तकाल के सभी तरह की जानकारी इसमें प्रकाशित कर दी गई है। ऐसा कहने का यह अर्थ नहीं है कि परमेश्वर आश्चार्यक्रमों को नहीं करता या यहाँ तक कि स्वप्नों के द्वारा नहीं बोलता है, अपितु जो कुछ भी परमेश्वर कहता है, चाहे वह एक स्वप्न हो, एक दर्शन हो, या एक प्रेरणा हो, या “एक छोटी आवाज” ही क्यों ने हो, वह पूरी तरह से जो कुछ उसने पहले से उसके वचन में प्रकाशित कर दिया है, उसके साथ सहमत होगा। स्वप्न पवित्र शास्त्र के अधिकार को हड़प नहीं सकते हैं।

यदि आपको एक स्वप्न आया है और आप यह महसूस करते हैं कि शायद परमेश्वर ने इसे आपको दिया है, प्रार्थनापूर्वक इसकी जाँच परमेश्वर के वचन के साथ करें और सुनिश्चित करें कि आपका स्वप्न पवित्र शास्त्र के साथ सहमति में है। प्रार्थनापूर्वक ध्यान दें कि परमेश्वर आपसे आपके स्वप्न के प्रति प्रतिक्रिया आपसे क्या चाहता है (याकूब 1:5)। पवित्र शास्त्र में, जहाँ कहीं भी किसी ने परमेश्वर से एक स्वप्न का अनुभव किया है, परमेश्वर ने सदैव उसका स्पष्ट अर्थ उसे दिया है, चाहे उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष में, या एक स्वर्गदूत के द्वारा, या किसी अन्य सन्देशवाहक के द्वारा (उत्पत्ति 40:5-11; दानिय्येल 2:45; 4:19)। जब परमेश्वर हमसे बात करता है, तो वह सुनिश्चित करता है कि उसका सन्देश स्पष्टता से समझ लिया गया है।

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