मसीह का लहू का क्या अर्थ है?

प्रश्न मसीह का लहू का क्या अर्थ है? उत्तर वाक्यांश “मसीह का लहू” नए नियम में कई स्थानों पर उपयोग किया गया है और यीशु का हमारे स्थान पर किए हुए प्रायश्चित के पूरे कार्य और बलिदानात्मक मृत्यु की अभिव्यक्ति है। मसीह के लहू से सम्बन्धित संदर्भों में वह वास्तविकता भी सम्मिलित है कि उसने…

प्रश्न

मसीह का लहू का क्या अर्थ है?

उत्तर

वाक्यांश “मसीह का लहू” नए नियम में कई स्थानों पर उपयोग किया गया है और यीशु का हमारे स्थान पर किए हुए प्रायश्चित के पूरे कार्य और बलिदानात्मक मृत्यु की अभिव्यक्ति है। मसीह के लहू से सम्बन्धित संदर्भों में वह वास्तविकता भी सम्मिलित है कि उसने शाब्दिक रूप से क्रूस के ऊपर अपने लहू को बहाया, परन्तु इससे अधिक महत्व की बात यह है कि वह पापियों के लिये मरा और उसने अपने लहू को उनके लिए ही बहाया। मसीह के लहू में अभी तक के युगों में असीमित मात्रा में- असीमित लोगों के द्वारा किए हुए पापों के लिए प्रायश्चित की सामर्थ्य पाई जाती है और वे सभी जो उसके लहू में शरण लेते हैं, बचाए जाते हैं।

पापों के प्रायश्चित के लिए एक माध्यम के रूप में मसीह के लहू की वास्तविकता अपने मूल को मूसा की व्यवस्था में निहित पाती है। वर्ष में एक बार, याजक को पशुओं के लहू को मन्दिर की वेदी के ऊपर भेंट स्वरूप लोगों के पापों के लिए चढ़ाना होता था। “सच तो यह है कि व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएँ लहू के द्वारा शुद्ध की जाती है, और बिना लहू बहाए पाप की क्षमा नहीं है” (इब्रानियों 9:22)। परन्तु लहू की यह भेंट अपने प्रभाव में सीमित थी, इसलिए ही इसे बार-बार चढ़ाना पड़ता था। यह “सदैव के लिए एक बार” के बलिदान की प्रतिछाया थी जिसे यीशु ने क्रूस के ऊपर भेंट स्वरूप चढ़ा दिया (इब्रानियों 7:27)। एक बार इस बलिदान को चढ़ा दिया गया, तब और अधिक अब बैल और बकरियों के लहू की आवश्यकता नहीं है।

मसीह का लहू नई वाचा का आधार है। क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले वाली रात में, यीशु ने दाखरस के प्याले को उसके शिष्यों को दिया और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है, नई वाचा है” (लूका 22:20)। प्याले में दाखरस का उण्डेला जाना मसीह के लहू का प्रतीक है जो उन सब के लिए उण्डेला गया है जो उसके ऊपर आने वाले समय में विश्‍वास करेंगे। जब इस लहू को क्रूस के ऊपर उण्डेला गया, तब यीशु ने पुरानी वाचा में पशुओं के निरन्तर दिए जाने वाले बलिदानों की शर्तों को पूरा कर दिया। उनका लहू लोगों के पापों को ढकने के लिए अस्थाई व्यवस्था को छोड़कर पर्याप्त नहीं था, क्योंकि एक पवित्र और असीमित परमेश्‍वर के विरूद्ध किए जाने वाले पाप के लिए एक पवित्र और असीमित बलिदान को दिए जाने की ही आवश्यकता होती है। “परन्तु उनके द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है, क्योंकि यह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे” (इब्रानियों 10:3)। जबकि बैलों और बकरियों का लहू पाप के लिए एक “स्मरण” दिलाने वाला था, मसीह का निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात् मसीह के बहुमूल्य लहू” (1 पतरस 1:19), ने पाप के उस कर्ज को पूरी तरह से चुका दिया जो हमारे ऊपर परमेश्‍वर की ओर से था, और हमें अब और अधिक किसी बलिदान को पाप के लिए दिए जाने की आवश्यकता नहीं है। जब वह मर रहा था तब यीशु ने कहा था “पूरा हुआ” और उसका आशय यही था — कि छुटकारे का पूरा कार्य सदैव के लिए हमारे लिए “अनन्त छुटकारे को प्राप्त” करने के द्वारा पूर्ण हो चुका था (इब्रानियों 9:12)।

न केवल यीशु का लहू विश्‍वासियों को पाप और अनन्तकालीन दण्ड से छुटकारा देता है, अपितु साथ ही वह हमें “विवेक के सनातन कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि हम जीवते परमेश्‍वर की सेवा करें” (इब्रानियों 9:14)। इसका अर्थ यह है कि हम न केवल उन बलिदानों को चढ़ाने से अब स्वतंत्र हो गए हैं जो उद्धार की प्राप्ति के लिए “व्यर्थ” हैं, अपितु साथ ही परमेश्‍वर को प्रसन्न करने के लिए शरीर के योग्यताहीन और अनुत्पादक कार्यों पर भरोसा करने से भी मुक्त हो गए हैं। क्योंकि मसीह के लहू ने हमें छुटकारा दे दिया है, हम अब मसीह में नई सृष्टि हैं (2 कुरिन्थियों 5:17), और उसके लहू के द्वारा हमें जीवित परमेश्‍वर की सेवा करने, उसकी महिमा करने और उसके साथ सदैव के लिए प्रसन्न रहने के लिए पाप से स्वतंत्र कर दिया गया है।

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