मेम्ने के विवाह का भोज क्या है?

प्रश्न मेम्ने के विवाह का भोज क्या है? उत्तर प्रकाशितवाक्य 19:7–10 में, अपने दर्शन में यूहन्ना ने स्वर्ग में मेम्ने के विवाह भोज के ऊपर एक बड़ी भीड़ को परमेश्‍वर की स्तुति करते हुए सुना और देखा — शाब्दिक रूप से यह “विवाह का प्रीतिभोज” है — जो आरम्भ होने पर था। विवाह के भोज…

प्रश्न

मेम्ने के विवाह का भोज क्या है?

उत्तर

प्रकाशितवाक्य 19:7–10 में, अपने दर्शन में यूहन्ना ने स्वर्ग में मेम्ने के विवाह भोज के ऊपर एक बड़ी भीड़ को परमेश्‍वर की स्तुति करते हुए सुना और देखा — शाब्दिक रूप से यह “विवाह का प्रीतिभोज” है — जो आरम्भ होने पर था। विवाह के भोज की अवधारणा को मसीह के समय में विवाह की प्रथा के प्रकाश में देखने के द्वारा सर्वोत्तम रूप में समझा जा सकता है।

इन विवाह की प्रथाओं के तीन मुख्य हिस्से होते थे। प्रथम, दुल्हा और दुल्हिन के अभिभावकों के द्वारा एक विवाह का अनुबंध हस्ताक्षर किया जाता था और दुल्हे के अभिभावक या स्वयं दुल्हा ही दुल्हिन या उसके अभिभावकों को दहेज दिया करता था। इससे वह अवधि आरम्भ होती थी जिसे मंगनी कहा जाता था — जिसे आज के समय हम सगाई कह कर पुकारते हैं। यही वह समय था जब यूसुफ और मरियम एक दूसरे के साथ अनुबंध में थे और जब मरियम को बच्चे के साथ गर्भवती पाया गया था (मत्ती 1:18; लूका 2:5)।

इस प्रक्रिया में दूसरा चरण अक्सर एक वर्ष के उपरान्त आता है, जब दुल्हा, अपने पुरूष मित्रों के साथ, दुल्हिन के घर मध्य रात्रि में, गलियों में से मशालों की प्रकाश को प्रदर्शित करते हुए जाता था। दुल्हिन को पहले से ही पता चल जाता था कि क्या घटित होने वाला है, और इस तरह से वह अपनी सहेलियों के साथ तैयार हो जाती थी, और वे सभी इस प्रकाश प्रदर्शन में सम्मिलित हो जाते थे और यह प्रदर्शन दुल्हिन के घर जाकर समाप्त हो जाता था। यह प्रथा ही वह आधार है, जो मत्ती 25:1-13 में दी हुई कुँवारियों के दृष्टान्त में पाया जाता है। तीसरा चरण स्वयं में विवाह का भोज था, जो कई दिनों तक चलता रहता था, जैसा कि काना का यूहन्ना 2:1-2 में दिए हुए विवाह के रूप में चित्रित है।

प्रकाशितवाक्य में यूहन्ना के दर्शन में जो कुछ मेम्ना (यीशु मसीह) और उसकी दुल्हिन (कलीसिया) के विवाह भोज में चित्रित किया गया है, वह तीसरा चरण है। इसके निहितार्थ यह हैं कि पहले दो चरण पहले ही घटित हो चुके हैं। पहला चरण इस पृथ्वी पर पूरा हो चुका है, जब प्रत्येक विश्‍वासी ने अपने विश्‍वास को मसीह को अपना उद्धारकर्ता करके ग्रहण किया था। दहेज को दुल्हिन के अभिभावक (परमेश्‍वर पिता) को मसीह के लहू के द्वारा दुल्हिन की ओर से दे दिया गया है। तब, पृथ्वी पर आज कलीसिया की मंगनी मसीह के साथ हो गई और दृष्टान्त में दी हुई बुद्धिमान कुँवारियों की तरह ही सभी विश्‍वासी दुल्हे (दूसरे आगमन) के प्रगट होने की प्रतिज्ञा कर रहे और बाट जोह रहे हैं। दूसरा चरण कलीसिया के मेघारोहण अर्थात् हवा में उठा लिए जाने का प्रतीक है, जब मसीह उसकी दुल्हिन को लेने के दावे के साथ आता और उसके पिता के घर में ले जाता है। विवाह का प्रीतिभोज तब इसके पश्चात् आने वाला तीसरा और अन्तिम चरण है। हमारा दृष्टिकोण यह है कि मेम्ने का विवाह भोज स्वर्ग में मेघारोहण और दूसरे आगमन (इस पृथ्वी पर क्लेशकाल के समय में) के मध्य में घटित होगा।

विवाह के प्रीतिभोज में न केवल कलीसिया मसीह की दुल्हिन के रूप में भाग लेगी, अपितु इसके साथ अतिरिक्त लोग भी सम्मिलित होंगे। “अन्यों” में पुराने नियम के सन्तजन भी सम्मिलित हैं — उनका अभी तक पुनरुत्थान नहीं हुआ है, परन्तु उनके प्राण/आत्मा हमारे साथ स्वर्ग में होंगे। जैसा कि स्वर्गदूत ने यूहन्ना को लिखने के लिए कहा है, “धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं” (प्रकाशितवाक्य 19:9)। मेम्ने का विवाह भोज उन सभों के लिए एक महिमा से भरा हुआ उत्सव होगा जो मसीह में हैं!

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