मैं कैसे जान सकता हूँ कि मैं किसी के साथ प्रेम में हूँ?

प्रश्न मैं कैसे जान सकता हूँ कि मैं किसी के साथ प्रेम में हूँ? उत्तर प्रेम एक बहुत ही शक्तिशाली भावना है। यह हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रेरित करती है। हम बहुत अधिक महत्वपूर्ण निर्णयों को इस भावना के ऊपर आधारित होकर लेते हैं, और यहाँ तक कि विवाह भी कर लेते हैं क्योंकि…

प्रश्न

मैं कैसे जान सकता हूँ कि मैं किसी के साथ प्रेम में हूँ?

उत्तर

प्रेम एक बहुत ही शक्तिशाली भावना है। यह हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रेरित करती है। हम बहुत अधिक महत्वपूर्ण निर्णयों को इस भावना के ऊपर आधारित होकर लेते हैं, और यहाँ तक कि विवाह भी कर लेते हैं क्योंकि हम यह महसूस करते हैं कि हम “प्रेम में” हैं। यह एक कारण हो सकता है कि क्यों प्रथम बार किए हुए आधे से ज्यादा विवाहों का अन्त तलाक में ही होता है। बाइबल हमें शिक्षा देती है कि सच्चा प्रेम एक भावना नहीं है जो कि आती और जाती है, अपितु एक निर्णय है। हम न केवल उन लोगों से प्रेम करना है जो हमें प्रेम करते हैं; हमें यहाँ तक कि उनसे प्रेम करना चाहिए जो कि हमसे घृणा करते हैं, ठीक उसी तरह से जैसे मसीह ने न प्रेम किए जाने वालों से प्रेम किया है (लूका 6:35)। “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता और फूलता नहीं, वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुँझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है। वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है” (1 कुरिन्थियों 13:4-7)।

यह बहुत ही आसान है कि कोई किसी के साथ “प्रेम में पड़” जाए, परन्तु निर्णय लेने से पहले कुछ प्रश्न हैं जिन्हें पूछना चाहिए यदि हम जिसे महसूस कर रहे हैं वह सच्चा प्रेम है। पहला, क्या वह व्यक्ति मसीही विश्वासी है, अर्थात् क्या उसने अपने जीवन को मसीह को दे दिया है? क्या वह मसीह में ही उद्धार के लिए विश्वास करता/करती है? इसके साथ ही, यदि आप अपने हृदय और भावनाओं को किसी एक व्यक्ति को सौंपने के लिए सोच रहे हैं, तो आपको स्वयं से पूछना चाहिए कि क्या आप उस व्यक्ति को बाकी के सभी अन्य लोगों के ऊपर रखने के लिए तैयार हैं और परमेश्वर के बाद वही आपके सम्बन्धों में दूसरे स्थान पर आना चाहिए। बाइबल हमें बताती है कि जब दो व्यक्ति विवाह करते हैं, तो वे एक तन हो जाते हैं (उत्पत्ति 2:24; मत्ती 19:5)।

एक और सोचने योग्य बात यह है कि क्या प्रेम किए जाने वाला वह व्यक्ति एक साथी बनने के लिए एक अच्छा प्रार्थी है या नहीं। क्या उसने अपने जीवन में परमेश्वर को प्रथम स्थान और सबसे श्रेष्ठ स्थान दिया है या नहीं? क्या वह एक विवाह में सम्बन्धों के निर्माण के लिए अपना समय और ऊर्जा देने के लिए सक्षम है या नहीं ताकि वह जीवन के अन्त तक बना रहे? यहाँ पर इस बात के निर्धारण के लिए कोई नापने वाला पैमाना नहीं है कि हम किसी के साथ सच्चाई से प्रेम में है या नहीं, परन्तु यह परख होना महत्वपूर्ण है कि हम हमारे भावनाओं का अनुसरण कर रहे हैं या हमारे जीवनों में परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण कर रहे हैं। सच्चा प्रेम एक निर्णय है, न कि केवल एक भावना। सच्चा बाइबल आधारित प्रेम किसी को हर समय प्रेम करना है, न कि तब जब आप “प्रेम में” होना महसूस करते हैं।

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