वासना क्या है? वासना के बारे में बाइबल क्या कहती है?

प्रश्न वासना क्या है? वासना के बारे में बाइबल क्या कहती है? उत्तर वासना की शब्दकोष आधारित परिभाषा “1) तीव्र या अनैतिक यौन लालसा, या 2) एक अभिभूत कर देने वाली इच्छा या लालसा” में दिया गया है। बाइबल वासना के बारे में कई तरीकों से बात करती है। निर्गमन 20:14, 17, “तू व्यभिचार न…

प्रश्न

वासना क्या है? वासना के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर

वासना की शब्दकोष आधारित परिभाषा “1) तीव्र या अनैतिक यौन लालसा, या 2) एक अभिभूत कर देने वाली इच्छा या लालसा” में दिया गया है। बाइबल वासना के बारे में कई तरीकों से बात करती है। निर्गमन 20:14, 17, “तू व्यभिचार न करना…तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी या बैल-गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना,” या मत्ती 5:28, “परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।” और अय्यूब 31:11-12: “क्योंकि वह तो महापाप होता; और न्यायियों से दण्ड पाने के योग्य अधर्म का काम होता; क्योंकि वह ऐसी आग है जो जलाकर भस्म कर देती है, और यह मेरी सारी उपज को जड़ को नष्ट कर देती है।”

वासना का ध्यान केन्द्र स्वयं को प्रसन्न करने में होता है, और यह अक्सर परिणामों की परवाह किए बिना एक व्यक्ति को स्वयं की इच्छाओं की प्राप्ति के लिए हानिकारक कार्यों की ओर ले जाती है। वासना का विषय प्राप्ति और लालच के बारे में है। मसीही विश्‍वास निस्वार्थता के बारे में है और पवित्र जीवन के द्वारा चिन्हित होता है (रोमियों 6:19, 12:1-2; 1 कुरिन्थियों 1:2, 30, 6:19-20; इफिसियों 1:4, 4:24; कुलुस्सियों 3:12; 1 थिस्सलुनीकियों 4:3-8,5:23; 2 तीमुथियुस 1:9; इब्रानियों 12:14; 1 पतरस 1:15-16)। प्रत्येक पुरूष/स्त्री का लक्ष्य जिसने अपने विश्‍वास को यीशु मसीह में रखा है, अधिकाधिक प्रति दिन उसके जैसे हो जाने का है। इसका अर्थ जीवन के पुराने तरीकों को उतारने, जो पाप के नियन्त्रण में था, और पवित्रशास्त्र में दिए गए मानकों के अनुसार एक व्यक्ति का अपने विचारों और कार्यों का पालन करना है। वासना इस आदर्श के विरोध में है।

इस पृथ्वी पर अभी तक कोई भी पूर्ण या पाप रहित नहीं रहा है, तथापि, अभी भी यही तो वह लक्ष्य रहा है, जिसके लिए हम प्रयासरत् हैं। 1 थिस्सलुनीकियों 4:7-8 में बाइबल इस बारे में एक दृढ़ कथन पाया जाता है, “क्योंकि परमेश्‍वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है। इस कारण जो तुच्छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्‍वर को तुच्छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।” यदि वासना ने अभी तक अपने मन और हृदय को जकड़ा नहीं है, तो स्वयं को विजयी जीवन को यापन करने के लिए वासना की ओर से आने वाली परीक्षाओं का सामना करने के लिए तैयार रहें। यदि आप वर्तमान में वासना के साथ संघर्ष करते हैं, तो यही ठीक समय है कि आप अपने पापों को परमेश्‍वर के सामने अंगीकार कर लें और अपने जीवन में उससे हस्तक्षेप करने की मांग करें, ताकि पवित्रता भी आपके जीवन का एक चिन्ह हो सके।

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